Friday, April 23, 2010

हमारी किस्मत में प्यार कहाँ!!!!!


बेटी बनकर आई हूँ मैं माँबाप के जीवन में

बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में ,

क्यों ये रीत खुदा ने बनाई होगी,


कहते है आज नही तो कल बेटी तू पराई होगी,


देकर जनम पाल पोसकर जिसने हमे बड़ा किया ,


और एक वक़्त उन्ही हाथों ने हमे विदा किया ,


एक पल को नही सोचते अरे ! हमने ये क्या किया ,


टूट के बिखर जाती है हमारी ज़िन्दगी वहीँ ,


फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ये ज़रूरी तो नही ,


क्यूँ ये रिश्ता हम बेटियों का अजीब होता है ,


क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है !!!!!!!!!!!!!