Monday, November 30, 2009

डोंट रिअक्ट !


पापा कहते है कि सहन करना सीखो। ज़िन्दगी में दया, क्षमा , प्रेम और परोपकार के सिवाय कुछ नही है। पापा कहते है कि एक बात हमेशा याद रखो अंग्रेज़ी में है पर बड़ी सटीक है "Dont react "। आप कोई भी काम करो, कुछ भी सुनो, कुछ भी देखो पर डोंट रेअक्ट। आपको पता है पहले हम सोचते थे कि क्या पापा क्या कहते रहते है!! पर आज इन दो वर्ड का मतलब समझ आ गया है। सच है अगर हम इनको अपने जीवन में अपना ले तो ज़िन्दगी को बड़े बिंदास तरीके से जी सकते है। अच्छा मान लो कोई आपकी तारीफ कर रहा है तो आप का मन ख़ुशी के मारे उछलने लगता है जैसे हम भी कुछ है । पर जब भी कोई आलोचना करता है या बुराई करता है तो फिर हम मायूस या उदास होते है। हम दोनों स्थिति में प्रतिक्रिया कर रहे होते है । बड़ी सीधी बात है कि जब हम प्रतिक्रिया करते है तो जान लीजिये कि कहीं हम अपने जीवन में तारतम्य बैठा नही पा रहे है। न्यूटन का गति का 3 नियम (Newton's laws of motion- 3 law known as action reaction) 'क्रिया प्रतिक्रिया ' के बिलकुल विपरीत है डोंट रिअक्ट । न्यूटन का नियम तो सार्वभौमिक नियम है । पर हमें तो डोंट रिअक्ट को अपनाना है। तभी हम अपनी सार्थक ऊर्जा को सही दिशा सही लक्ष्य पाने में लगा सकते। मान लीजिये कि हम भोजन कर रहे है और खाना बड़ा स्वादिष्ट है तो हम भूख से ज्यादा ग्रहण करते है।जानते है क्यों ? क्योकि भोजन हम के प्रति प्रतिक्रिया रहे है। यह हमारे मन में वासना को जन्म देती है ,फिर लालच ,लोभ बढ़ता है सब जानते कि लालच ही दुर्गुणों का आश्रय होता है। क्यों साधू संत लोग संयमित होते है क्योकि वो जीवन की सब घटनाओ को सम भाव से लेते है वो किसी बात से विचलित नही होते है। हम सोचते है की संतो के पास शक्ति होती है। पर साधू सिर्फ अपने मन को रिअक्ट करने से रोक लेते है। कहते है कि 'स्थूल इतना बुरा नही है जितना कि सूक्ष्म गूढ़ है हमारी प्रतिक्रियां सूक्ष्म मन का भाव होती हैं , जिन पर काबू पाना कठिन होता है ।पर ज्यादा कठिन भी नही होता है बस हम रिअक्ट करना छोड़ दे किसी भी बात के लिए । जीवन के हर पहलू पर हम ये नियम लगा ले तो हम ज्यादा सार्थक जीवन जी सकते है। अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन में तीन चीजों को पाना चाहता है
१-यश
२-धन
३- वासना
ये तीनों चीज़ें हमारे सूक्ष्म मन कि प्रतिक्रियाएं है जो दूसरों को देखकर हम भी पाना चाहते है। मन में तन की भूख , यश की भूख , धन की भूख हमेशा बनी रहती क्योकि हमारा मन इनके प्रति प्रतिक्रिया करता रहता है। जिस दिन हमारा मन इनके लिए रिअक्ट करना बंद कर दे उस दिन हम अपने दुर्गुणों पर विजय पा लेंगे । और एक सफल जीवन जी पाएंगे। कितना भी कठिन समय हो बस मन में एक ही भाव होना चाहिए। तो आज से हमारा मंत्र होगा -

Don't React !

9 comments:

  1. बहुत सारगर्भित आलेख है बस इन दुर्गुनो पर ही तो आदमी विजय पाना नहीं चाहता। शुभकामनायें

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  2. बहुत पते की बात बताई। क्योंकि व्यक्ति अपनी बहुत सारी एनर्जी रिएक्शन में ही खर्च करता रहता है।
    --------
    घूँघट में रहने वाली इतिहास बनाने निकली हैं।
    खाने पीने में लोग इतने पीछे हैं, पता नहीं था।

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  3. vicharneey lekh .............
    aapkee soch acchee lagee.........
    aasheesh

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  4. ज्‍योति जी आपके विचार अच्‍छे लगे। मैं दुआ करता हूं कि आपके आलेख को पढ़ लोग इसे जीवन में उतारें।
    मैं एक आशावादी हूं।
    रियेक्‍शन की भावना को ले लोग कभी आगे नहीं बढ़ सकते।
    आपकी बातों को हम जन जन तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
    जय भारत

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  5. बहुत दिनों से आपकी कोई रचना पढने को नहीं मिली और आप ने कोई टिपण्णी भी नहीं दी...तो सोचा चलो होली की मुबारक ही दे दूँ...
    होली की ढेर सारी शुभकामनाएं...

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  6. Dont React
    aaj pahli baar jana ki jyoti kyun react nhi karti
    accha laga padh kar

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  7. Its a gold nuggest you have described about behaviour.But In my opinion, you stated it partly. Don't react but RESPOND. Reacting is an instinctive call embedded in our human genome.Vital part of our this behaviour is a tendancy and inability to think while reacting where as RESPONDING is refered as thought involved act. One may choose to listen, ponder and then act. This is the whole process of RESPONDING. Keeping silence over triflings is an advanced responding which saves a great deal of our energy wasted in plunging of reactions.

    I found a bit contradiction at end in your thoughts among सार्थक जीवन and सफल जीवन .

    Caveman Stone 413 reads # Life is a practical joke thrown at humanity by God.

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